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शुक्रवार, 7 मार्च 2014

अवसरवाद

आज की तारीख में अवसरवादिता हर जगह पर है क्योंकि सभी को यही सिखाया जा रहा है कि जो भी अवसर मिले बस पकड़ लो, सही है या गलत ये तो बिलकुल मत सोचो । अभी कुछ दिन पहले जब मैंने देखा कि राम विलास पासवान ने एन डी ए का दामन थाम लिया है तो मैंने कहा कि ये अवसरवादिता का एक बड़ा उदाहरण है । पासवान ये जानते है कि अब यू पी ए कि वापसी सम्भव नहीं है और भाजपा का सत्ता में आना लगभग तय है तो क्यों न बहती गंगा में हाथ धो लिए जाए और मंत्री पद पक्का कर लिया जाए । वैसे पासवान ये करने वाले पहले व्यक्ति नहीं है फ़ारुक़ अब्दुल्ला ये काम पहले से करते आ रहे है । नेताओं के ये कदम कही से भी अप्रत्याशित नहीं है बस दुःख तो ये देख कर होता है कि बिना ईमान के ये नेता संसद तक क्यों पहुँच जाते है ?
बॉलीवुड में भी अवसरवादिता किस तरह से फैली है ये तो आप किसी भी अखबार या न्यूज़ चैनल ( वैसे आज कल ये न्यूज़ चैनल को न्यूज़ चैनल ना बोलते हुए व्यूज चैनल बोला जाना चहिये।) के माध्यम से पता लगा सकते है  और न्यूज़ चैनल तो अवसरवाद में राजनीतिज्ञों को पीछे छोड़ना चाहते है ।
खेलों में भी आप अवसरवादिता को आसानी से देख सकते हो और उसका ताज़ा उदाहरण है धोनी का एशिया कप न खेलना । लगातार हार के कलंक से बचने के लिए ही धोनी ने ये कदम उठाया है । हम लगातार हार रहे है और धोनी को ये मालूम है कि हम अभी और हारेंगे क्योंकि हमने कोई तैयारी नहीं की है तो क्यों ना चोट का बहाना ही बना लिया जाए । वैसे धोनी को कितनी चोट लगी है ये अब पता चल ही रहा है क्योंकि बी सी सी आई ने सर्वोच्च न्यायालय में ये अपील की है कि खिलाड़ियों के नाम सार्वजनिक न किये जाए ।

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