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गुरुवार, 6 फ़रवरी 2014

ख़राब दिन

आज का दिन ही ख़राब था । सुबह-सुबह की भाग-दौड़ के बाद ऑफिस पहुंचा कि थोड़ा जल्दी आ कर थोड़ा समय इंटरनेट पर कुछ खबरें पढ़ लूंगा तो पता चला कि ऑफिस का इंटरनेट बंद था और सुधरने में थोड़ा समय लग जायेगा । सोचा कि मोबाइल पर ही देख लें तो मोबाइल का इंटरनेट भी नहीं जुड़ पा रहा था । अचानक चारों तरफ से आवाज़ें आनी शुरू हो गयी कि "इंटरनेट नहीं चल रहा है " और सब एक-दूसरे से यही बात कर रहे थे कि "जब काम हो तभी बंद हो जाता है" या "यार आज सोचा था कि  से ही ये काम कर लूंगा" ।
जब सब बातचीत में व्यस्त थे और अलग-अलग मुद्दों पर बड़ी ही रोचक बातें कर रहे थे तब मैं अपने ;मोबाइल पर लगातार इंटरनेट चलने कि कोशिश कर रहा था । इन्ही कोशिशों के बीच पता ही नहीं चला ही कब लंच हो गया और मैं अपने मोबाइल को जेब के हवाले कर लंच करने चला गया । वापस आ कर देखा तो इंटरनेट चालू हो चुका था और मेरे पास बहुत काम इकट्ठा हो गया था । मैं बाकी लोगों के सामान अपना काम निपटाने में लग गया । काम निपटते-निपटाते शाम हो गयी और मैं ये सोचते हुए कि घर पहुँच कर इंटरनेट इस्तेमाल करूँगा, घर की तरफ निकल गया । घर पहुँचते ही अपने लैपटॉप पर इंटरनेट चालू करने कि कोशिश की तो वो भी नहीं चला ।
रात को बड़े ही खराब मूड के साथ ये सोच रहा था कि आज भी मैं अपने मन कि नहीं कर पाया और मेरा दिन खराब ही बीत गया । अचानक मेरी नज़र मेरे २ साल के बेटे पर गयी जो थक कर सो चुका था तो मैंने सोचा कि शाम को  मेरे बेटे ने मेरे परिवार के साथ कितनी मस्ती की थी । इसी क्रम में मैंने सोचा कि जब ऑफिस में इंटरनेट नहीं चल रहा था तब भी तो सब बड़ी अच्छी-अच्छी बातें कर रहे थे और मैं अपना समय मोबाइल में खराब कर रहा था ।
अब मैं यही सोच रहा था कि क्या मेरा दिन ख़राब गया था या मैंने ही ख़राब किया था ??????

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