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शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

समाज के बदलते स्वरुप का आइना

आज उसने एक पत्रिका की एक कहानी पढ़ी । वैसे तो वक़्त होते हुए भी वक़्त न होने की दुहाई देते हुए वो अख़बारों में छपी लघुकथाएं तो पढ़ लेता था लेकिन बड़ी कहानियां पढ़ने में उसे कोफ़्त होती थी । पत्रिकाओं को पढ़ने का शौक उसे उसके पिता से विरासत में मिला था और कभी कभी लिखने कि कोशिश भी वो कर लिया करता था । आज उसने जो कहानी पढ़ी थी उस कहानी में उसको कही ना कहीं निराश सा कर दिया था क्योंकि वो कहानियों से एक अच्छे सन्देश कि उम्मीद लिए पढ़ने बैठा था । आज कि कहानी में उसे कोई अच्छा सन्देश नज़र नहीं आया था । 
वो सोच रहा था कि इस कहानी कि नायिका के द्वारा की गयी प्रतिक्रिया उसको गलत लगी या इस कहानी को लिखने वाली महिला कि सोच उसे गलत लगी थी । इस कहानी कि नायिका एक सांवली सी ठीक-ठाक दिखने वाली लड़की है जिसकी २ सहेलियां है, एक सहेली जो कि बहुत ख़ूबसूरत है और एक जो देखने में अच्छी है और नायिका को अपनी बहुत ख़ूबसूरत सहेली से कहीं ना कहीं ठोड़ी सी चिढ है क्योंकि सब उन दोनों कि तुलना करते रहते है । 
कहानी पढ़ने के बाद वो कहानी के एक हिस्से के बारे में बार-बार सोच रहा था । कहानी के उस हिस्से में नायिका अपनी सहेली कि शादी में जाती है जहाँ उसे अपनी सहेली के पति का एक दोस्त दिखता है और उससे उसकी शादी कि बात भी चलने वाली है । नायिका जो कि इस बात से डरी होती है कि कही वो लड़का उसकी जगह उसकी दूसरी सहेली जो कि बहुत खूबसूरत है उसको न पसंद कर ले उस पार्टी में वाइन का एक लार्ज गिलास गटक कर (कहानी की भाषा के अनुसार) बहुत कुछ ऐसा बोलती है जो की संस्कारों कि श्रेणी में नहीं आना चाहिए । यहाँ पर उस कहानी कि लेखिका "ये जवानी है दीवानी" से प्रेरित सी लगती है क्योंकि वो "झल्ली" जैसे शब्दों का इस्तमाल करती है अपनी दुल्हन बनी दोस्त के लिए । 
कहानी पढ़ने के बाद वो सोच रहा था कि क्या अपनी अच्छी सहेली कि शादी में इस तरह हंगामा करना वो भी नशे में सही था? क्या अपनी उस सहेली को अप्रत्यक्ष रूप से कोसना जो कि नायिका को अपना सबसे अच्छा दोस्त मानती है सही था? क्या उस लड़के द्वारा नायिका को इस तरह कि हरकत से बाद पसंद करना सही था? अगर सही था तो क्यों सही था क्योंकि अपने परिवार और परिचितों के सामने तो किसी भी तरह का नशा करना गलत ही होता है चाहे वो हाई सोसाइटी के नाम से ही क्यों ना हो रहा हो और साथ ही स्लैंग का इस्तमाल दोस्तों में न करते हुए सभी के सामने करना भी गलत ही है और कहानी में ये कहीं भी नहीं था कि नायिका हाई सोसाइटी से है । 
वो अब इसी उधेड़बुन में था कि क्या हम उस नायिका कि व्यथा को और बेहतर ढंग से पेश नहीं कर सकते थे???

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