मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014
वो बच्चा
काफ़ी साल पहले की बात हैं, मैं किसी काम से न्यू मार्केट गया था । अपना काम निपटाने के बाद जब मैं वापस आया तो देखा कि एक बच्चा हाथ में एक कपडा लिए सब गाड़ीवालों से पूछ रहा था कि "भैया गाड़ी साफ़ कर दूँ .. " और इसी क्रम में वो मेरे पास भी आया और मुझसे भी पूछा कि "भैया गाड़ी साफ़ कर दूँ क्या?"। उन दिनों मेरी गाड़ी नयी थी और मैं रोज़ जब भी घर से निकलता था गाड़ी साक करके ही निकलता था तो मैंने उससे पूछा कि "क्यों, मेरी गाड़ी साफ़ नहीं दिख रही है क्या तुझे?" ।
वो बच्चा बोला,"भैया करवा लो ना बस २ रूपये लूंगा।" इसके बाद मेरी और उसकी बातचीत कुछ ऐसी हुई थी -
मैं - "क्या करेगा २ रूपए का?"
बच्चा - "काम है थोड़ा सा"
मैं - "काम बता तो हो सकता है मैं गाड़ी साफ़ करवा लूँ "
बच्चा - "माँ ने बोला है कि शाम तक १० रूपये का आटा घर लेकर ही आना और जितनी जल्दी पैसे इकट्ठे करूँगा उतनी जल्दी घर जा कर आटा दे दूंगा और खेलने चला जाऊंगा "
बच्चा - "भैया अब तो करवा लो ना "
मैं - "पढ़ने जाते हो क्या?"
बच्चा - "हाँ भैया दूसरी में पढता हूँ "
मैं - "चल मेरे साथ…"
फिर मैं उसे दुकान पर ले गया और उसको १ किलो आटा दिलवा दिया । आटा दिलाने के बाद मैंने उससे पूछा "कुछ खाना है क्या?"
वो बच्चा बोला "नहीं भैया ये आटा ही बहुत है"और ये बोलता हुआ कि," भैया मैं जाता हूँ मेरे दोस्त मेरा इंतज़ार कर रहें होंगे" वो भागते हुए आखों से ओझल हो गया ।
उस दिन शायद पहली बार मुझे ये समझ आया कि "अच्छा करने से अच्छा लगता है :)"
वो बच्चा बोला,"भैया करवा लो ना बस २ रूपये लूंगा।" इसके बाद मेरी और उसकी बातचीत कुछ ऐसी हुई थी -
मैं - "क्या करेगा २ रूपए का?"
बच्चा - "काम है थोड़ा सा"
मैं - "काम बता तो हो सकता है मैं गाड़ी साफ़ करवा लूँ "
बच्चा - "माँ ने बोला है कि शाम तक १० रूपये का आटा घर लेकर ही आना और जितनी जल्दी पैसे इकट्ठे करूँगा उतनी जल्दी घर जा कर आटा दे दूंगा और खेलने चला जाऊंगा "
बच्चा - "भैया अब तो करवा लो ना "
मैं - "पढ़ने जाते हो क्या?"
बच्चा - "हाँ भैया दूसरी में पढता हूँ "
मैं - "चल मेरे साथ…"
फिर मैं उसे दुकान पर ले गया और उसको १ किलो आटा दिलवा दिया । आटा दिलाने के बाद मैंने उससे पूछा "कुछ खाना है क्या?"
वो बच्चा बोला "नहीं भैया ये आटा ही बहुत है"और ये बोलता हुआ कि," भैया मैं जाता हूँ मेरे दोस्त मेरा इंतज़ार कर रहें होंगे" वो भागते हुए आखों से ओझल हो गया ।
उस दिन शायद पहली बार मुझे ये समझ आया कि "अच्छा करने से अच्छा लगता है :)"