मंगलवार, 27 अक्तूबर 2009
लापता गंज का पता
हाँजी तो मिल ही गया "लापता गंज" का पता...
शरद जोशी के बारे में आज की पीढी शायद उतना नही जानती हो पर हम जानते है और ये बात हम गर्व से कह सकते है । शरद जोशी जी से हमारी मुलाकात हमारी बाल भरती ने करवाई थी । आज भी हमे याद है "जीप पर सवार तीन इल्लियाँ " जिसने हमारे मन में एक बात बैठाई थी की कैसे सरकारी पदका दुरूपयोग किया जाता है जो की शायद बाद में इस बात में तब्दील होता गया की कैसे दुरूपयोग किया जा सकता है :)
हम इस बात को लेकर शरद जोशी के शुक्रगुजार है कि उन्होंने हमे एक सच्चाई से बड़े ही सही तरीके अवगत करवाया। शरद जोशी जी व्यंग्य में एक बात जो हमे बहुत पसंद है वो ये है कि अपनी बात को कितने सरल तरीके से कहा जा सकता है ।
लापता गंज कि अभी तो शुरुआत है , देखे आगे आगे क्या होता है? अभी तो देख कर ऐसा लगा है कि हमे कुछ अच्छे और कुछ लाउड लोगो को देखने को मिलेगा , अब निर्देशक महोदय इन सबको साथ ले कर शरद जोशी कि रचनाओ के साथ कितना न्याय कर पाते है ये तो कुछ समय बाद ही पता लगेगा ।
वैसे एक अच्छी बात है इस "लापता गंज " में कि इसका पता नेहा जोशी को है इसलिए शायद हमको इस धारावाहिक को काफी दिनों तक देखने को मिलेगा और घर कि बात घर में ही रहेगी।
शरद जोशी के बारे में आज की पीढी शायद उतना नही जानती हो पर हम जानते है और ये बात हम गर्व से कह सकते है । शरद जोशी जी से हमारी मुलाकात हमारी बाल भरती ने करवाई थी । आज भी हमे याद है "जीप पर सवार तीन इल्लियाँ " जिसने हमारे मन में एक बात बैठाई थी की कैसे सरकारी पदका दुरूपयोग किया जाता है जो की शायद बाद में इस बात में तब्दील होता गया की कैसे दुरूपयोग किया जा सकता है :)
हम इस बात को लेकर शरद जोशी के शुक्रगुजार है कि उन्होंने हमे एक सच्चाई से बड़े ही सही तरीके अवगत करवाया। शरद जोशी जी व्यंग्य में एक बात जो हमे बहुत पसंद है वो ये है कि अपनी बात को कितने सरल तरीके से कहा जा सकता है ।
लापता गंज कि अभी तो शुरुआत है , देखे आगे आगे क्या होता है? अभी तो देख कर ऐसा लगा है कि हमे कुछ अच्छे और कुछ लाउड लोगो को देखने को मिलेगा , अब निर्देशक महोदय इन सबको साथ ले कर शरद जोशी कि रचनाओ के साथ कितना न्याय कर पाते है ये तो कुछ समय बाद ही पता लगेगा ।
वैसे एक अच्छी बात है इस "लापता गंज " में कि इसका पता नेहा जोशी को है इसलिए शायद हमको इस धारावाहिक को काफी दिनों तक देखने को मिलेगा और घर कि बात घर में ही रहेगी।
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